Sunder Pichai Book Summmery in Hindi

 


नमस्कार दोस्तो में आज एक ऐसे इंसान के बुक की समरी लेकर आया हु जो अभी गूगल का सीईओ है यानी कि सूंदर पिचाई की बुक की समरी लेकर आया हु | तो इस बुक समरी में आप सूंदर पिचाई की एक गरीब लड़के से गूगल का सीईओ बनने तक कि पूरी कहानी जानेंगे |

अगर आप इसे खरीदने की इच्छा रखते है तो आप इसे नीचे दी गयी लिंक से खरीद सकते है। 

link-- shop now


about book

इस समरी में हम क्या सीखेंगे 

गूगल के सीईओ , सूंदर पिचाई और उनके फर्श से अर्श तक के सफर के बारे में जानेंगे | यह समरी आपको बताती है कि कैसे एक मिडिल क्लास नोजवान, दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक का लीडर बना |


ये समरी किस किसको पड़नी चाहिए 

. टेक्नोलॉजी से प्यार करने वाले 

. entrepreneur को

. जिन्हें बायोग्राफी पढ़ना पसंद है 


अबाउट समरी

यह सूंदर पिचाई के जीवन की कहानी है | यह कहानी उनके शुरुवाती जीवन और दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियो में से एक के सीईओ बनने के सफर के बारे में है | आप इसमें उनके मिडिल क्लास लाइफ से एक करोड़पति बनने के सफर के बारे में जानेंगे |


introduction 

खुद को गूगल के सीईओ के रूप में इमैजिन कीजिये , क्या कमाल की फीलिंग है ना ! आज जो गूगल के सीईओ है वह शख्स एक मामूली बैकग्राउंड से आये थे मगर फिर भी उन्होंने टॉप पर अपनी जगह बनाई | सुदर पिचाई , एक इंडियन बिज़नस executive , जो बचपन मे काफी शांत रहते थे , जो अपनी पढ़ाई पर ध्यान देते और बहुत कम दोस्त बनाते थे |लेकिन स नोजवान को अपने गोल्स ओर एम्बिशन को हासिल करने से कोई रोक नही पाया |

इस समरी में आप सूंदर पिचाई और उनकी गरीबी से लेकर अमीरी तक के सफर के बारे में जानेंगे | इसमे आप टेक्नोलॉजी के बारे में भी जानेंगे की कैसे उन्होंने क्रोम और एंड्राइड को उस मुकाम तक पहुचाया जहा वो आज है | 

तो आइये , लेरी पेज के सबसे खास राइट हैंड शक्श और उनके टॉप तक पहुचने के सफर के बारे में जानते है |




शुरुवाती जीवन और पढ़ाई 

सूंदर पिच जिनका पूरा नाम - सुंदरराजन पिचाई है , का जन्म तमिलनाडु के मदुरै में 10 जून 1972 को हुआ था | उन्होंने चेन्नई के एक स्कूल में पढ़ाई शुरू की | वे अशोक नगर इलाके में रहते थे | पिचाई अपनी क्लास में हमेशा टॉप करते थे | बचपन से ही वे पढ़ाई में बेस्ट थे | सूंदर पिचाई के पिता , आर. एस. पिचाई एक इलेक्ट्रिकल इंजनियर के तौर पर इंग्लिश इलेक्ट्रिक कंपनी ऑफ इंडिया में काम करते थे | आर. एस. पिचाई और उनकी पत्नी लक्ष्मी पिचाई अब अमेरिका में रहते है | लक्ष्मी एक स्टेनोग्राफर थी | उनका काम लेक्चर और स्पीच को शॉर्टहैंड में टाइप करना था | बाद में सूंदर पिचाई के पिता ने इलेक्ट्रिकल कॉम्पोनेन्ट मैनुफेक्चरिंग प्लांट सुरु की | आर. इस. पिचाई के प्रोफेशन ने शायद सूंदर को इंजेनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए इंस्पायर किया था |

read this- > RICH DAD POOR DAD BOOK SUMMERY IN HINDI




सूंदर पिचाई की नानी , रंगनायक़ी का मानना था कि उनका पोता हमेशा काम को खेल से ज्यादा जरूरी मानता था | सूंदर पिचाई को क्रिकेट का शोक था लेकिन कभी भी उन्होंने खेल को अपनी पढ़ाई के बीच मे आने नही दिया | बचपन मे सूंदर को उनकी फैमिली राजेश के नाम से पुकारती थी | उन्हें साइंस और मैथ्स सब्जेक्ट बहुत पसंद था  | उनके कुछ ही दोस्त थे और वो हमेशा अपने काम पर ज्यादा ध्यान देते थे | 

सूंदर पिचाई के प्रिंसिपल को भी उनका स्कूल में बिताया हुआ वक्त याद नही है | लेकिन आज उनकी अचीवमेंट और कामयाबी के बारे में सब कुछ जानते है | 

जवाहर नवोदय विद्यालय में मैट्रिक का एग्जाम पास करने के बाद , सूंदर पिचाई एक ऐसे स्कूल में पढ़ने गए जो IIT मद्रास के कैंपस के अंदर था | इसका नाम vana vani स्कूल था | 


12th एग्जाम खत्म करने के बाद , सूंदर पिचाई ने JEE के एग्जाम को पास किया और IIT खरगपुर में सीट हासिल की | उन्होंने कॉलेज में metlergical  इंजेनियरिंग की पढ़ाई की  | अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री करने के बाद सूंदर आगे की पढ़ाई के लिए अब्रॉड चले गए | वे master in science in materials science and engineering के लिए स्टैनफोर्ड गए | यहाँ उन्हें सीबेल स्कॉलर का खिताब दिया गया | सूंदर पिचाई ने पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी के Wharton स्कूल में MBA किया  |  Wharton में , सूंदर पिचाई को पामर स्कॉलर का किताब दिया गया |

read this -  > THE SECRET BOOK SUMMERY IN HINDI



करियर 

अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद , सूंदर पिचाई ने मेकिंसे एंड कंपनी में काम करना सुरु किआ |मेकिंसे एंड कंपनी एक अमेरिकी मैनेजमेंट कंसलटेंट फर्म है | इनफैक्ट यह सबसे बड़ी और सबसे पुरानी कंसलटेंट फर्म में से एक है | पिचाई ने इस कम्पनी में इंजेनियर के तौर पर काम किया और अम्पलएड मैट्रीयल्स के साथ साथ मैनेजमेंट का काम भी संभाला | 

मेकिंसे एंड कंपनी में काम करने के बाद सूंदर ने एक बड़ी कम्पनी में काम करना शुरू किया | 2004 में सूंदर ने गूगल जॉइन किया | वह गूगल के सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट के लिए प्रोडक्ट मैनेजमेंट और इनोवेशन एफोर्ट के इंचार्ज थे | इन प्रोडक्ट्स में गूगल क्रोम ब्राउज़र और क्रोम os शामिल है | क्रोम os एक ऑपरेटिंग सिस्टम है | इसके अलावा इसमें गूगल का क्लाउड स्टोरेज , गूगल ड्राइव भी शामिल है | 


सूंदर पिचाई को गूगल के कुछ दूसरे एप्लीकेशन के डेवलोपमेन्ट को चेक करने के लिए भी भेजा गया | इसमे जीमेल और गूगल मैप शामिल है | 2009 में पिचाई को क्रोम os का डेमो देना था | इसके फ़ौरन बाद , क्रोम बुक रिलीज़ हुआ | क्रोमबुक एक ऐसा डिवाइस है जो क्रोम os पेर चलता है | यह क्रोम बुक आगे जाकर 2012 में रिलीज़ किया गया | 2010 में सूंदर पिचाई ने webM भी इंट्रोड्यूस किया | ये गूगल की स्पॉन्सर हुई एक मीडिया ऑडियो फॉरमेट है | 




इन सभी गूगल प्रोडक्ट्स को संभालने के बाद सूंदर ने एंड्राइड को मैनेज किया | ये एंड्रोइड फोन में इस्तेमाल होने वाला ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसे पहेले एंडी रुबिन मैनेज करते थे | 2015 में सूंदर को गूगल का अगला सीईओ चुना गया | इस पोजीशन के पहले उन दिनों के सीईओ लेरी पेज ने सूंदर को प्रोडक्ट चल चीफ बनाया | 


सूंदर को गूगल फैमिली की नयी कम्पनी alphabet inc. में भी हाथ रहा | सूंदर को माइक्रोसॉफ्ट का सेव बनने का मौका भी मिला था , बाद में यह पोजीशन सत्या नडेला को दी गयी | 


2017 में सूंदर पिचाई ने खाफी पब्लिसिटी हासिल की | उन्होंने दस पांव के मेंनिफेस्टो लिखने वाले एम्प्लॉई को नोकरी से निकाल दिया | इस मैनिफेस्टो में औरतों को टेक्निकल रोल के लिए encourage करने की कंपनी पॉलिसी को क्रिटिसाइज किया गया था | एम्प्लोयी का मानना था कि बायोलॉजिकल वजहों से आदमी ही औरतो से ज्यादा टेक्निकल कामो में बेहतर होते है | पिचाई को लगा कि यह मैनिफेस्टो नाराज करने वाला और औरतो और मर्दो के बीच फर्क पैदा करने वाला था |

SAMSUNG M12 REVIEW IN HINDI

vivo y12 review in hindi

oppo a33 review in hindi

टेक्नोलॉजी से प्यार 

जब सूंदर यंग थे , उन्हें अपनी माँ की ब्लड टेस्ट रिपोर्ट लेने के लिए अक्सर हॉस्पिटल जाना पड़ता था | उन्हें वंहा पहुचने में बस से एक घंटा बिस मिनट लगता था | हॉस्पिटल पहुचने के बाद , वह एक और घंटा लाइन में इंतजार करते थे | पिचाई ने पहली बार 12 साल की उम्र में टेलीफोन देखा था , जब उनके माता पिता ने एक रोटेटरी टेलीफोन खरीदा था | इसे खरीदने के बाद सूंदर इस फ़ोन से हॉस्पिटल कॉल कर पाते थे | इस पुराने किस्म के फ़ोन के फ़ोन से कॉल करने में अब भी कम से कम 10 मिनट लगते थे | जब भी वह फ़ोन करते , उन्हें अक्सर एक जैसा ही जवाब मिलता था कि रिपोर्ट अभी तक तैयार नही है | 

पिचाई को वो दिन भी याद है जब उनकी फैमिली ने पहली बार फ़्रिज खरीदा था | उसे खरीदने के बाद उनकी माँ को अब रोज खाना बनाने की जरूरत नही पड़ती थी क्योंकि वह बचे हुए खाने को फ्रीज में रख सकती थी और अपने फैमिली के साथ ज्यादा वक्त बिता सकती थी | 

बड़े होने के दौरान , पिचाई को ऐसे बहुत से experiences हुए जिससे उन्हें टेक्नोलॉजी प्यार हो गया कि किस तरह टेक्नोलॉजी ने उनकी जिंदगी को आसान बना दिया था | 

पिचाई ने अपनी कंपनी में एक बड़े बदलाव की घोषणा की | अब इन्होंने "मोबाइल फर्स्ट" से "artificial intaligence"की तरफ मुड़ने का फैसला किया | अब, यह आवाज पहचानने वाले प्रोडक्ट , जो हमारी आवाज को सुनकर हमारी रिक्वेस्ट को पूरा करता है , वैसे प्रोडक्ट बनाने की कोसिस में लग गए | आप इस आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस को यूज़ करके गाने को बदल सकते है और अपने कैमरे की लाइट भी बंद कर सकते है | दूसरी तरफ , गूगल लेंस को उसे कर एक कंप्यूटर , टेक्स्ट को ठीक वैसे ही दिखता है जैसे एक इंसान देखता है | अगर आप अपने कैमरे को किसी रेस्तरां की तरफ मोड़ते है , तो यह आपको उस रेस्तरां का रिव्यु देगा | पिचाई का टारगेट है टेक्नोलॉजी को और ज्यादा फैलाया जाए जिससे इसे हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल किया जा सके |

recent posts- Who Moved My Cheese book Summery in hindi

> infinx hot 11s review in hindi

> amazon prime kya hai aur iske fayede

पिचाई अपनी कम्पनी को ग्लोबल बनाने का इरादा रखते है | वह नही चाहते कि उनका प्रोडक्ट और सर्विस बस कुछ जगहों तक सिमित रहे | वह चाहते है की पूरी दुनिया जाने के टेक्नोलॉजी कितनी आसान और अच्छी है | वह चाहते है कि मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम एंड्राइड को इतना सस्ता बनाया जाए कि यह 30 डॉलर के मोबाइल फोन का os बन सके |


मिडिल क्लास लाइफ

पिचाई एक साधारण बैकग्राउंड से आये | जब उन्हें अमेरिका में पढ़ाई के लिए स्कॉलरशीप मिली तो उनके पिता ने एक साल की अपनी सेलरी उनके फ़्लाईट की टिकट पर खर्च कर दी | यह पहला मौका था जब पिचाई ने फ़्लाईट में सफर किया था | उन्हें वह एक्सपीरियंस अच्छी तरह याद है | उन दिनों घरो में फ़ोन कॉल करना काफी महंगा होता था | एक मिनट की बात करने के लिए उन्हें 2 डॉलर से ज्यादा खर्चने पढ़ते थे | उन्होंने ये भी कहा कि अमेरिका में सिर्फ एक बैग पैग की कीमत उनके पिता की एक महीने की सैलरी के बराबर होती थी | वह महेंगे बैग पेग के बजाए पुराने इस्तेमाल किये हुए बेग पेग खरीदा करते थे |

शुरुवात में उनका घर बड़ा नही था | वह अपने किरायदारों के साथ रहते थे | सूंदर अपने छोटे भाई के साथ अपने घर के लिविंग रूम की जमीन पर सोते थे |

पिचाई अपनी जड़ो से जुड़े रहे और अपने बेटे को बचपन मे फ़ोन नही रखने दिया | लेकिन उनका बेटा crypto currency और etherium में जरूर इन्वेस्ट करते है | पिचाई का कहना है कि वह यह देखकर हैरान होते है कि टेक्नोलॉजी किस तरह काम करती है | 

कॉलेज में पिचाई के पास कुछ खास नही था | वह बिना tv वाले बहुत छोटे से प्लेट में रहते थे | उनके पास गाड़ी भी नही थी | उनके पास महंगी चीजे नही थी, इसीलिए वह अपनी लाइफ में छोटी छोटी चीजो को इम्पोर्टेंस देते थे | हर मिडिल क्लास की तरह वह बस में सफर करते | उनके पिता के पास नीले कलर का स्कूटर था और यही उनकी फैमिली के लिए सफर करने का एक मात्र जरिया था | इसे खरीदने के लिए उन्होंने 3 महीनों तक सेविंग की थी | 

पैसो की तंगी के बावजूद , पिचाई के माता पिता ने हमेशा अपने बच्चे की पढ़ाई पर पैसा ठीक से खर्च किया | वे अपनी सारी सेविंग पीने बच्चो के लिए खर्च करते थे | 




क्रिटिसिज्म और बकलेश 

2018 दिसम्बर में , यूनाइटेड स्टेट्स हाउस ज्यूडिशियरी कमिटी ने कई मामलों में गूगल से पूछताछ की | कमिटी के मानना था कि गूगल ने अपने प्लेटफार्म को पॉलिटिक्स के लिए गलत यूज़ किया था और अपने यूज़र्स के कांफीडेंशल और सेंसेटिव डेटा चुराए थे | गूगल पर चीन में सेंसर किया गया सर्च एप का प्लान बनाके का भी दोष लगा | सूंदर ने इन सबसे इनकार किया और कहा कि गूगल और उनके एम्प्लॉय किसी भी तरह के सर्च रिजल्ट पेर कोई भी असर नही डाल सकते है और गूगल का कोई पोलिटिकल इंटरेस्ट नही था | इसलिए उनके यूज़र्स को किसी भी पोलिटिकल एजेंडे के इस्तेमाल नही किया गया | पिचाई ने ये भी कहा कि यूज़र्स आसानी से अपने डेटा को गूगल को निकालने से मना कर सकते है | उन्होंने चाइनीस दावो को भी खारिज कर दिया | 


अक्टूबर 2020 में , कॉमर्स, साइंस और ट्रांसपोर्टेशन पर अमेरिका के सीनेट कमिटी ने पिचाई को subpoena के लिए समन किया | पिचाई फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग , ट्विटर के सीईओ जेक डोरसी , इन तीनो को 1934 के communications decency act की सेक्शन 230 छूट से जुड़े मामलों के लिए बुलाया गया | आरोप ये था कि यह कानून इन कंपनियों को सेंसरशिप से बचाता है  | फेसबुक ने इस मामले में कोई कमेंट नही किया | जबकि ट्विटर और गूगल ने कुछ समय बाद जवाब दिया |


conclusion

तो इस समरी में आपने सूंदर पिचाई की जिंदगी के कही अलग अलग पहलुहो के बारे में जाना | आपने उनकी साधारण शुरुवात और भारत मे उनकी जिंदगी के बारे में पढ़ा | आपने उनकी फैमिली और टेक्नोलॉजी से उनके प्यार के बारे में जाना | साथ ही , आपने उनकी पर्सनल लाइफ के बारे में जाना | 

इस समरी में आपको डिटेल में बताया गया कि कैसे सूंदर अमेरिका गए और दुनिया की सबसे बड़ी कम्पनी के सीईओ बने | आपने उनके संघर्ष , पैसो की तंगी और टॉप पर पहुचने की inspreson के बारे में भी जाना |  


तो दोस्तो ये समरी येही पर ख़तम होती है आपको केसी लगी कमेंट में जरूर बताएं |

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ